जिस दौर का सच चुटकुलों से प्रतियोगिता करने लगे, वहां यह तय कर पाना बहुत कठिन हो जाता है कि सच क्या है और चुटकुला क्या! एकाउंट में 15-15 लाख रुपये भेजने के दावे को देश ने सच माना था, लेकिन अमित शाह ने बाद में बताया कि वो महज एक जुमला था, एक उच्च कोटि के चुटकुला था।
अमित शाह के ताजा बयान पर गौर कीजिये—“इस देश की महान संसदीय परंपरा में मोदीजी से पहले कोई ऐसा प्रधानमंत्री नहीं हुआ, जो अपनी पार्टी के अधिवेशन में तीन दिन तक लगातार बैठा रहता है, फ्रेश होने तक के लिए नहीं उठता।“
शुरू में मैंने सोचा कि यह शरारती तत्वों द्वारा गढ़ा कोई चुटकुला है, जिसे अमित शाह के नाम प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है। बाद में वीडियो देखा तो आंखें खुली रह गईं। धन्य हमारे प्रधानमंत्री जी, तीन दिन तक योगबल से शायद बाबा रामदेव भी ना रोके रख पाये, आप रोक पाते हैं, इसलिए आप युगपुरुष हैं। इस ब्रेकिंग न्यूज के बाद निम्नलिखित निष्कर्ष सामने आते हैं—
1. देश अपने प्रधानमंत्री और सरकार को लेकर किसी तरह की शंका ना करे, ना लघु, ना दीर्घ। प्रधानमंत्री देशहित में चल रही पार्टी की तीन दिन की बैठक के दौरान तमाम शंकाएं त्याग देते हैं। दूसरी तरफ आप हैं, सुबह शाम फ्लश चलाकर किये-कराये पर पानी फेरते रहते हैं। देश अपने पीएम के सम्मान में अपनी समस्त शंकाओं को दबाये रखने का संकल्प लें।
2. एक ऐसा नेता जिसका नाम सुनते ही शी सुसू कर देता है और ट्रंप की पतलून पीछे से पीली हो जाती है, उसका पार्टी अधिवेशन की खातिर तीन दिन तक रोककर बैठे रहना बताता है कि पार्टी ही असली देश है।
3. प्रधानमंत्री ने इस देश के लोगों के लिए करोड़ों शौचालय बनवा दिये लेकिन पार्टी अधिवेशन के दौरान खुद उनका इस्तेमाल नहीं करते। इसी महानता को दर्शाते हुए हिंदी के एक महान कवि ने कहा है
तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पियहि न पान
कहि रहीम परकाज हित संपति संचिह सुजान
4. मोदी जी ने कहा था—ना खाउंगा ना खाने दूंगा। अगर चाहते तो ये भी कह सकते थे पार्टी के अधिवेशन के दौरान ना जाउंगा ना जाने दूंगा। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कहा। यानी बाकी लोगों को उठकर जाने और निपटाने की छूट है। इससे यह साबित होता है कि उनका दिल कितना बड़ा है।
5. ऐसी खबर है कि मोदीजी ने मनौती मानी है कि जब नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन लिया जाता, वो अधिवेशन के दौरान बाथरूम जाने के लिए भी नहीं उठेंगे। मैं इस खबर का खंडन या पुष्टि नहीं करता। अमित शाह के अगले बयान की प्रतीक्षा कीजिये।
6. मोदीजी के नये कारनामे के बाद चूरन और गोली बेचने वालों में दहशत है। उन्हें यह डर सता रहा है कि अगर देश के कब्ज पीड़ित संकल्प की मुट्ठी बांधकर मैं भी मोदी कहना शुरू कर देंगे तो उनके धंधे का क्या होगा।
7. इस खबर को लेकर निकाले जा रहे निष्कर्ष पूरी तरह गलत हो सकते हैं। लेकिन प्राकृतिक बुलावों पर नियंत्रण का जो दावा अमित शाह ने किया है कि उससे इस बात की पुष्टि होती है कि मोदीजी सचमुच नॉन-बायोलॉजिकल हैं।
एक और आखिरी बात। कुणाल कामरा जैसों के चुटकुलों पर बैन लगाने का फैसला गलत था। जब मेक इन इंडिया के तहत निर्मित शुद्ध सरकारी चुटकुले उपलब्ध है, तो फिर किसी पिटे हुए स्टैंड अप कॉमेडियन के शो में क्यों जाना?