
दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि संस्थापक और योग गुरु बाबा रामदेव के रूहआफ़ज़ा को लेकर विवादास्पद बयान पर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और कोर्ट के कंसेंस को आहत करने वाला बताते हुए रामदेव को आड़े हाथों लिया है। रूहआफजा बनाने वाली कंपनी हमदर्द लेबोरेटरीज द्वारा रामदेव के बयान को अपमानजनक और सांप्रदायिक बताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अमित बंसल ने इसे दुर्भावनापूर्ण बताया और सभी मडिया प्लेटफार्म से इसे अविलंब हटाने का निर्देश दिया।
कोर्ट के इस कड़े रुख को देखते हुए बाबा रामदेव ने दिल्ली हाई कोर्ट को आश्वस्त किया है कि उनके द्वारा सभी मीडिया प्लेटफार्म से उनके विवादास्पद ‘ सरबत जिहाद‘ संबंधी सभी बयान को अविलंब हटा लिया जाएगा। बाबा रामदेव की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने रामदेव को पांच दिनों के अंदर एक हलफनामा दायर करते हुए भविष्य में किसी भी व्यावसायिक प्रतिद्वंदी के खिलाफ कोई भी विवादास्पद बयान नहीं देने की गारंटी देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 1 मई मुकर्र की है।
गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने 3 अप्रैल को एक बयान के जरिए हमदर्द कंपनी की रूहआफज़ा को इंगित करते हुए दावा किया था कि यह कंपनी अपनी कमाई से मस्जिद और मदरसा को फंड करती है। हमदर्द कंपनी की ओर से अपनी दलील पेश करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस तरह का बयान दुर्भावना से प्रेरित है।यह संप्रदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने वाला हेट स्पीच के समान है।
