अपने एक ऐतिहासिक फैसला में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है. खनिज रॉयल्टी के संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि खनिज पर दी जाने वाली रॉयल्टी को टैक्स की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया. बेंच में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के साथ न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय न्यायमूर्ति ए एस ओका न्यायमूर्ति जे बी पर्डीवाला न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे. मुख्य न्यायाधीश ने अपने और बेंच में शामिल सात अन्य न्यायाधीशों की ओर से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया.
फैसले में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान की Entry 50 of || के तहत संसद को राज्यों के खनिज अधिकार पर टैक्स लगाने का अधिकार प्राप्त नहीं है. संविधान का Entry 50 राज्यों के mineral rights से संबंधित है.
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 1989 में रॉयल्टी को टैक्स ठहराने का फैसला गलत था.
बेंच में शामिल सिर्फ न्यायमूर्ति बी भी नागरथना ने फैसले के विरोध में अपना मत व्यक्त किया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने Mines and Minerals (Development and Regulation)Act,1957 के तहत प्रमुख मुद्दा खनिज पर रॉयल्टी को टैक्स मानने जैसे विवाद को भी स्पष्ट कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस रूलिंग ने मिनरल्स राइट के संबंध में केंद्र और राज्य सरकार के क्षेत्रधिकार को भी स्पष्ट कर दिया है.
आगामी 31 जुलाई को शीर्ष अदालत इस निर्णय के लागू होने के समय पर अपना फैसला सुनाएगी.
कोर्ट के इस निर्णय से पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड जैसे खनिज बहुल राज्यों को लाभ पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है.