नेपाल में 73 साल की सुशीला कार्की को देश की कमान मिलने की संभावना है. वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं और अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने की चर्चा है. सुशीला कार्की ने 1975 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की डिग्री हासिल की.वह अपनी क्लास में टॉपर रहीं जो उनकी मेहनत और लगन को दिखाता है. एक मीडिया रिपोर्ट में BHU के 1985 के छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव के हवाले से बताया गया है कि सुशीला पढ़ाई में पूरी तरह डूबी रहती थीं.वह हॉस्टल से डिपार्टमेंट और डिपार्टमेंट से लाइब्रेरी तक का रास्ता तय करती थीं. कैंपस में उनकी कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं थी वह बस किताबों में खोई रहती थीं.
सुशीला ने अपने बनारस के दिनों को याद करते हुए एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि मुझे आज भी मेरे टीचर्स, दोस्त और गंगा नदी याद हैं. हमारा हॉस्टल गंगा के किनारे था. गर्मियों में हम छत पर सोते थे.वह बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहती थीं और बनारस की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक माहौल का हिस्सा बनीं. उनकी ये यादें बताती हैं कि बनारस उनके लिए सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि एक खास अनुभव था.
वकील से जज तक
सुशीला ने 1979 में बिराटनगर में वकालत शुरू की. धीरे-धीरे वह नेपाल की न्यायिक दुनिया में बड़ा नाम बन गईं. 2009 में वो सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं. उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैये ने उन्हें मशहूर किया. हालांकि 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया जिसमें उन पर पक्षपात और कार्यपालिका में दखल देने के आरोप लगे.बाद में भारी जन दबाव और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद ये महाभियोग वापस लिया गया.
सुशीला की जिंदगी का एक अहम मोड़ बनारस में तब आया जब उनकी मुलाकात नेपाली कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई. यहीं से शुरू हुई उनकी प्रेम कहानी जो बाद में शादी में बदली.दुर्गा उनके लिए न सिर्फ जीवनसाथी बने, बल्कि जैसा कि सुशीला ने कहा कि मेरे सबसे भरोसेमंद दोस्त और हर मुश्किल में गाइड भी रहे.