सावन के पावन महीना इस बार 11 जुलाई से शुरु है और पहला सावन सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा और सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है।जो 9 अगस्त को समाप्त होगा।सावन माह में भगवान शिव की पूजा की जाती है साथ ही व्रत, और धार्मिक परंपराओं का बहुत महत्व होता है, सावन माह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का पांचवा महीना होता है, जो जुलाई और अगस्त के बीच आता है. यह माहीना भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. सावन का माहीना हिन्दू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है.

माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था, जिससे वे नीलकंठ कहलाए. उनकी तपस्या और त्याग को मानते हुए भक्त सावन सोमवार का व्रत रखते हैं. सावन के माहीने में सोमवार का विशेष महत्व होता है। सावन सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन मास भगवान शिव का सबसे पसंदीदा माह है और इस दौरान यदि कोई श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ भोलेनाथ की आराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है इस महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा होती है। सावन के पावन महीने में शिव के भक्त कावड़ लेकर आते हैं और उस कांवड़ में भरे गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय मंत्र जप का भी बहुत महत्व होता है।
‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने से सभी तरह के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। भगवान शिव को यदि प्रसन्न करना है तो सावन के महीने में पूरे विधि विधान के साथ उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर विशेष रूप से निविस करते हैं। इस माह में सोमवार का व्रत रखना, शिवजी को जल अर्पित करना और बेलपत्र चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। कुंवारी कन्याएं इस व्रत को भगवान शिव को आदर्श पति मानकर करती हैं ताकि उन्हें उत्तम वर प्राप्त हो सके। वहीं, विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। इस बार सावन का शुभारंभ सोमवार से हो रहा है, जिससा यह व्रत और भी पवित्र और फलदायक माना जा रहा है। शिवभक्त पूरे महीने व्रत, पूजा और रुद्राभिषेक कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।