Ranchi Life News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाने की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि इस बार हूल दिवस 30 जून को भोगनाडीह में भव्य रूप से मनाया जाएगा।
भोगनाडीह वही ऐतिहासिक स्थल है, जहां 1855 में वीर सिदो-कान्हू ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। चंपई सोरेन ने कहा कि जब न कोई संचार माध्यम था, न वाहन, तब भी आदिवासी वीरों ने एकजुट होकर अंग्रेजों से लोहा लिया। उन्होंने वर्तमान समय की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि संथाल परगना सहित कई इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठिये आदिवासी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और बहु-बेटियों की अस्मिता खतरे में है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार न तो पेसा कानून लागू कर रही है और न ही आदिवासी समाज को योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है। चंपई सोरेन ने कहा कि भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू, फूलो-झानो और तिलका मांझी को नमन कर एक नई लड़ाई का संकल्प लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया, “वीरों की इस धरती से एक बार फिर ‘हूल’ होगा।”