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विशेष

उमेश कुमार झा, झारखण्ड लाइफ। 16/11/2023 :
आपको जंग जीतनी है या नहीं... जब सैम बहादुर ने बिगड़कर इंदिरा गांधी से कहा.. कहानी सैम बहादुर की..
 
इन दिनों फील्‍ड मार्शल मानेकशॉ की जिंदगी पर फिल्‍म आ रही है। इसका नाम 'सैम बहादुर' है। फिल्‍म में विक्‍की कौशल ने मानेकशॉ का किरदार निभाया है। इसका टीजर आ गया है। टीजर देखकर ही लगता है कि इस फ‍िल्‍म में फील्‍ड मार्शल की जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं को समेटा गया है।

 

अप्रैल 1971... राजधानी दिल्ली में कैबिनेट की बैठक चल रही थी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तमतमाते हुए उस वक्त के थल सेना अध्यक्ष सैम मानेकशॉ से कहती हैं, ‘ये देखिए असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों के तार। आप क्या कर रहे हैं। वहां शरणार्थी समस्या बढ़ती जा रही है। पूर्वी पाकिस्तान से लगातार लोग आ रहे हैं। आप सेना ले जाइए और समस्या का निदान कीजिए। तब सैम मानेकशॉ ने इनकार करते हुए कहा- मैं ऐसा नहीं कर सकता। हम अभी तैयार नहीं हैं। हमारे पास केवल 12 टैंक हैं।“

 

और ये बहस का अंत सैम बहादुर की सवाल से हुआ – “आपको जंग जीतनी है या नहीं...” और इंदिरा गांधी ने कहा था– हाँ , उसके बाद सैम बहादुर 6 महीने के समय की माँगा.

 

“सैम बहादुर।“ ये नाम नहीं एक उपाधि की तरह है..  फील्‍ड मार्शल मानेकशॉ को उनके करीबी इसी नाम से बुलाते थे। .... सैम बहादुर से जुड़े कई किस्‍से हैं। लेकिन, इंदिरा गांधी के साथ 1971 में उनकी तकरार का किस्‍सा बहुत मशहूर है। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से उलट उन्‍होंने अपनी बात रखी थी। बातचीत में सैम ने इंदिरा गांधी से यह तक कह दिया था कि आप युद्ध जीतना चाहती हैं या नहीं। इस बात से इंदिरा नाराज भी हो गई थीं। इस युद्ध के बाद ही नक्‍शे में बांग्‍लादेश का जन्‍म हुआ था।


बात 1971 की है। इंदिरा गांधी चाहती थीं कि भारत मार्च में ही पाकिस्‍तान पर चढ़ाई कर दे। इसके लिए इंदिरा ने सैम मानेकशॉ से बात की। सैम ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। इसके पीछे कारण यह था कि भारतीय सेना हमले के लिए तैयार नहीं थी। इंदिरा को न सुनने पसंद नहीं था। इस बात से वह नाराज हो गईं। इस पर मानेकशॉ ने उनसे पूछ लिया किया कि आप युद्ध जीतना चाहती है या नहीं। जब इंदिरा ने इसके जवाब में हां कहा तो मानेकशॉ बोले कि उन्‍हें छह महीने समय चाहिए। उन्‍होंने गारंटी दी कि जीत भारत की होगी।


जैसा मानेकशॉ ने कहा था हुआ भी वैसा ही। 1971 का युद्ध 4 दिसंबर से 16 दिसंबर तक केवल 12 दिन में खत्‍म हो गया। यह सैम की सूझबूझ का ही नतीजा था। 94,000 सैनिकों के साथ पाकिस्‍तान सेना जनरल अब्‍दुल्‍ला खान नियाजी ने भारत के सामने घुटने टेक दिए थे। इसी के बाद पाकिस्‍तान से अलग होकर बांग्‍लादेश अस्तित्‍व में आया था।

दरअसल मानेकशॉ का पूरा नाम होर्मसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। दूसरे विश्‍व युद्ध के वक्‍त ब्रिटिश भारतीय सेना में उन्‍होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्‍होंने म्‍यांमार में सैन्‍य ऑपरेशन की अगुआई की थी। इस दौरान जापानी सैनिक ने मशीनग की सात गोलियां उनके शरीर में उतार दी थीं। लेकिन, वह आश्‍चर्यजनक तरीके से मौत के मुंह से बाहर आ गए थे।

1948
में कश्‍मीर में भारत के विलय के दौरान पाकिस्‍तान के साथ हुए युद्ध में भी मानेकशॉ शामिल थे। 1962 में चीन से जंग हारने के बाद सैम मानेकशॉ को चौथी कोर की कमान दी गई। पद संभालते ही उन्‍होंने सीमा पर तैनात सैनिकों को कहा था कि अब से आप से कोई तब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक लिखित आदेश नहीं मिलते। ध्‍यान रखिए यह आदेश आपको कभी नहीं दिया जाएगा।

 

इन दिनों इस सख्शियत की चर्चा दोबारा तेज है। इस दिलेर फौजी की जीवनी को लोग जल्‍द ही फिल्‍मी पर्दे पर देखेंगे। फिल्‍म का नाम भी 'सैम बहादुर' रखा गया है। इसका टीजर रिलीज हो गया है। ऐक्‍टर विक्‍की कौशल ने सैम मानेकशॉ का किरदार निभाया है। टीचर को देखने से ही लगता है कि फिल्‍म में उनकी असल जिंदगी से जुड़े कई किस्से होंगे।

 

सैम का 1942 में मौत के मुंह से बाहर आना, 1948 में कश्‍मीर का भारत में विलय, 1962 में चीन के साथ जंग और इंदिरा गांधी के साथ उनके रिश्‍ते। फिल्‍म में मानेकशॉ से जुड़े इन सभी पहलुओं को समेटा गया है।

 



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