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अपराध

उमेश कुमार झा, झारखण्ड लाइफ। 02/11/2023 :
झारखंड में नशे की खेती : पंजाबी की पूंजी से झारखंड में लहलहा रही नशे की फसल.. नक्‍सल खौफ से मिल रहा अफीम की खेती को खाद-पानी.. जानें पूरा खेल
 
अंतरराज्यीय अफीम तस्करी का हजारीबाग केंद्र बन गया है। वजह इसकी भौगोलिक स्थिति रही है। झारखंड में अफीम तस्करों का अंतरराज्यीय संगठित गिरोह काम कर रहा है। पंजाब और राजस्थान में अफीम की खेती पर दबिश के बाद तस्करों ने झारखंड से तार जोड़े। यहां से अफीम तैयार होने के बाद हजारीबाग से पंजाब और पश्चिम के राज्यों में डिस्पैच किया जाता है।

 

इसी साल 29 सितंबर, 2023 को आतंक निरोधी दस्ता (एटीएस) ने राजधानी रांची के खूंटी-मुरहू स्थित एमएस माइल इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के समीप पांच किलो अफीम के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया। जांच में यह बात सामने आई कि बरामद अफीम खूंटी से लाई गई थी। हजारीबाग होते हुए पंजाब भेजने की तैयारी थी।

 

22 सितंबर को चतरा पुलिस ने 500 ग्राम ब्राउन शुगर के साथ गिद्धौर के राजदेव दांगी और रोहित राज (रिश्ते में पिता-पुत्र) को पकड़ा। दोनों हजारीबाग से ब्राउन शुगर लेकर गिद्धौर आए थे और यूपी के बरेली भेजने की तैयारी थी।

 

6 अप्रैल को पंजाब के नवांशहर में पुलिस ने तीन किलो अफीम के साथ सलीम सोय को पकड़ा। एंटी नारकोटिक्स सेल पंजाब ने जांच की, तो पता चला कि युवक चतरा-हजारीबाग के सीमावर्ती जंगल में अफीम की खेती कर आपूर्ति करने पंजाब आया था।

 

16 मार्च, 2023 को पंजाब के मोहाली में पुलिस ने 12 किलोग्राम अफीम के साथ अफजल खान को पकड़ा। खान झारखंड के हजारीबाग से अफीम लेकर मोहाली पहुंचा था। ये चार मामले नशे के कारोबार से हजारीबाग के जुड़ते तार की सिर्फ बानगी भर हैं।

 

दरअसल, अंतरराज्यीय अफीम तस्करी का हजारीबाग केंद्र बन गया है। पंजाब के माफिया झारखंड के खूंटी और चतरा आदि जिलों से अफीम की खेती में पूंजी निवेश करते हैं। अफीम तैयार होने के बाद हजारीबाग से पंजाब और पश्चिम के राज्यों में डिस्पैच किया जाता है।

 

हजारीबाग का तस्करी का केंद्र बनने में इसकी भौगोलिक स्थिति वजह रही है। पंजाब से कोलकाता तक जीटी रोड (एनएच-2) हजारीबाग के चौपारण और बरही होकर गुजरता है। इस सड़क से प्रतिदिन पंजाब, राजस्थान और हरियाणा से हजारों की संख्या में ट्रकों का आना-जाना लगा रहता है।

 

बरही से राजधानी रांची और बिहार के पटना के लिए मुख्य सड़क निकलती है। बरही और चौपारण में लाइन होटलों से धंधे का संचालन होता है। जांच में यह बात सामने आई कि कुछ लाइन होटलों के संचालक झारखंड से नहीं है।

 

सिर्फ नशे के कारोबार में शामिल होने की वजह से यहां उनकी मौजूदगी है। होटलों में ट्रकों का ठहराव होता है। ट्रकों पर लोड सामान के अंदर छिपाकर अफीम भेजी जाती है। बरही से कोडरमा रेलवे स्टेशन है। यहां से ट्रेनों के माध्यम से पंजाब तक अफीम भेजी जाती है।

 

झारखंड में अफीम तस्करों का अंतरराज्यीय संगठित गिरोह काम कर रहा है। इस गिरोह में झारखंड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, यूपी, दिल्ली और राजस्थान के शातिर शामिल हैं। पंजाब और राजस्थान में अफीम की खेती पर दबिश के बाद तस्करों ने झारखंड से तार जोड़े।

 

चूंकि यहां पर खूंटी, चतरा, लातेहार, पलामू, लोहरदगा जैसे जिले घनघोर नक्सल प्रभावित रहे हैं। इन जिलों में अब भी कुछ ऐसे इलाके हैं जहां नक्सलियों का दबदबा है और पुलिस जाने से बचती है। ऐसे ही इलाकों में अफीम की खेती की जा रही है। इस धंधे में उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ और टीएसपीसी की संलिप्तता की पुष्टि हो चुकी है।

 

अफीम और ब्राउन शुगर को हजारीबाग से गंतव्य तक ट्रक चालकों के साथ ही पेशेवर अपराधी भी पहुंचाते हैं। पैसे के लालच में ग्रामीण महिलाएं और छात्र-छात्रा भी डिलीवरी ब्वाय की भूमिका अदा कर रहे हैं।

 

16 अक्टूबर को सीआइए स्टाफ की टीम ने जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से झारखंड से अफीम की सप्लाई देने पहुंची ग्याहरवीं की छात्रा 19 वर्षीय सपना और उसके साथी बीए के छात्र 22 वर्षीय चिराग कुमार को गिरफ्तार किया था।

 

दोनों झारखंड के जिला चतरा के थाना पखालागढ़ के अधीन लौबिया के रहने वाले हैं। उनसे पूछताछ में पता चला है कि उनकी उम्र के कई अन्य विद्यार्थी भी अलग-अलग राज्यों में अफीम की सप्लाई कर रहे हैं।

 

झारखंड के एसपी, एटीएस, सुरेंद्र कुमार झा कहते है- “झारखंड में अफीम तस्करी का संगठित गिरोह काम कर रहा है। इसके तार पंजाब और राजस्थान तक जुड़े हैं। पंजाब के माफिया पूंजी निवेश करते हैं। राज्य के दर्जनभर से ज्यादा बड़े शख्स जुड़े हैं। खेती के बाद गांव में घूम-घूमकर अफीम इकट्ठा करते हैं। इसके बाद पंजाब और यूपी भेज देते हैं। स्थानीय तस्कर पंजाब में पहुंचाते हैं तो उन्हें वहां पर दोगुनी कीमत मिलती है। खूंटी और चतरा से तस्कर हजारीबाग तक अफीम भेज देते हैं। वहां से गिरोह के अन्य सदस्य पंजाब तक पहुंचाते हैं। गिरोह को ध्वस्त करने के लिए सूचनाएं एकत्र कर समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।“

 



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