प्रतुल ने कहा यह सिर्फ चतुराई
और धूर्तता से ईडी सम्मन मामले को उलझाने का प्रयास है। प्रतुल ने कहा कि क्या
मुख्यमंत्री के महंगे वकीलों ,
लीगल टीम को यह भी नहीं पता कि
याचिका की एक्स्ट्रा कॉपी दी जाती है।सत्ताधारी गठबंधन पूरे जोर-जोर से कहता है कि
मुख्यमंत्री ईडी के मामले में उच्च न्यायालय गए हैं।लेकिन याचिकाओं में डिफेक्ट को
छोड़ दिया है।यानी मामला तब तक सूचीबद्ध नहीं होगा जब तक इन डिफेक्ट को दूर नहीं
किया जाएगा।यानी एक बार फिर से लटकाने का प्रयास हो रहा।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा, यह पहला मामला
नहीं है जब डिफेक्ट छोड़कर मुख्यमंत्री ने याचिका को लटकाया हो। इसके पूर्व भी जब
वो झारखंड के महामहिम राज्यपाल के खिलाफ नवंबर, 2022 में मुकदमा दाखिल किया था।वह आज
तक इसलिए सूचीबद्ध नहीं हुआ है क्योंकि उसमें भी अभी तक डिफेक्ट है। प्रतुल ने कहा
कि इस मामले में मुख्यमंत्री जी ने खूब प्रचार किया था की राज्यपाल के खिलाफ उच्च
न्यायालय गए हैं।लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर इन मुकदमों में डिफेक्ट
छोड़ दिया जाता है, जिससे मामला उच्च न्यायालय में फाइल तो हो जाए लेकिन
सूचीबद्ध नहीं हो। मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि मामला उच्च न्यायालय में 11 महीने से
डिफेक्ट के कारण क्यों लंबित है?
प्रतुल शाहदेव ने कहा, मुख्यमंत्री
को पता है कि कानून के लंबे हाथ उन तक पहुंच गए है इसलिए वह सारे मामले को ज्यादा
से ज्यादा टालने की कोशिश कर रहे हैं बहुत दिनों तक यह चाल कामयाब नहीं होगी।यह
मानना संभव नहीं है कि मुख्यमंत्री जी ने जिन लाखों रुपए के फीस वाले वकीलों को
हायर किया है उनको इन डिफेक्ट को दूर करने में कोई परेशानी होगी। पूरा मामला को
लटकाने के लिए डिफेक्ट छोड़े जा रहे हैं ताकि यह मामले सूचीबद्ध होकर सुनवाई में
नहीं आए।