अब उन्हें राज्य बाल अधिकार और संरक्षण आयोग ने सुरक्षित बाहर निकाला
है। राज्य सरकार इनके पुनर्वास , शिक्षा और रोजगार
की भी व्यवस्था करेगी।
--- झारखंड में मानव तस्करी
के कई मामले सामने आते हैं। गरीबी की वजह से, माता पिता अपनी बेटे या बेटी की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाते, साथ ही परिवार चलाना भी उनके लिए बड़ी समस्या होती
है। ऐसे में मानव तस्कर ऐसे घरों की तलाश में रहते हैं, मां - बाप को बहला कर उन्हें लालच देती है कि बेटी
अच्छी कमाएगी, पैसे घर भी
भेजेगी। इस लालच में माता पिता आसानी से आ जाते हैं। इन नाबालिग लड़कियों की कहानी
भी कुछ ऐसी है कि वह बेहतर जीवन की तलाश में मानव तस्कर का शिकार बन गयीं।
--- दरअसल.. पाकुड़ जिला के
हिरणपुर थाना क्षेत्र से 25 व्यक्ति इस साल 7 जनवरी को बेंगलुरु गए थे। इनमें एक बालक समेत 11 नाबालिग बच्चियां भी थीं। इन बच्चियों में 7 पाकुड़
और 4 साहिबगंज जिले की रहने वाली हैं। बेंगलुरु पुलिस ने इनके नाबालिग होने की वजह
से CWC, बेंगलुरु को सौंप
दिया था। CWC की जांच में पता
चला कि ये सभी ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हैं।
--- CWC, बेंगलुरु ने इन सभी बच्चियों को वापस उनके घर भेजने
के लिए DCPO और बेंगलुरु पुलिस से संपर्क किया। इसके उपरांत उन्होंने रांची के
जिला बाल संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर पूरी जानकारी दी। इसके बाद राज्य बाल
अधिकार और संरक्षण आयोग के द्वारा इन सभी बच्चियों को वापस लाने की सारी प्रक्रिया
पूरी हुई और इन बच्चियों को सुरक्षित अपने राज्य वापस लाया गया।