कोरोना काल के बाद रेलवे ने ट्रेनों को समय से चलाने का तर्क देते हुए ट्रेनों के स्टॉपेज का नया नियम देशव्यापी स्तर पर लागू किया था। नए नियम के मुताबिक, किसी भी लंबी दूरी के मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों को उन्हीं स्टेशनों पर ठहराव दिया जा रहा था, जहां 500 किलोमीटर तक के कम से कम 40 आरक्षित टिकट प्रतिदिन बुक हो रहे हों अथवा 16-22 हजार रुपए तक का राजस्व मिल रहा हो। इस नियम के लागू होने से छोटे स्टेशनों से कई ट्रेनों के स्टॉपेज बंद हो गए। कुछ महीने पहले अलग-अलग स्थानों पर विरोध शुरू हुआ। स्थानीय लोगों की मांग पर स्थानीय सांसदों ने रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर बात रखी। अब फिर से छोटे स्टेशनों पर स्टॉपेज देने का काम रेलवे कर रही है।
--- हाल में ही कलुंगा में
लुंगा विकास परिषद ने 5 ट्रेनों के ठहराव
की मांग को लेकर 8 घंटे तक
हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग को राउरकेला-झारसुगड़ा सेक्शन में जाम रखा था। स्थानीय लोग
साउथ बिहार एक्सप्रेस, टाटा-इतवारी समेत 5 ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग कर रहे थे। जिसके बाद अब
इन ट्रेनों का ठहराव दिया गया है..
--- रेलवे द्वारा जारी
सर्कुलरों के मुताबिक ही राजखरसावां में, सीनी में, जामताड़ा में, चांडिल स्टेशन
पर और अम्ब दोला स्टेशन पर मांग किये हुए कई ट्रेनों का ठहराव दिया गया है।