इसी दौरान उन्होंने IAS और IPS अफसरों से पूछ दिया-कितने अधिकारी संथाली-मुंडारी और हो भाषा जानते हैं।
इस भाषा में बोल सकते हैं। यह सुनते ही वहां सन्नाटा छा गया। अधिकारी बगलें झांकने
लगे। फिर सीएम ने कहा-कोई नहीं जानता।
--- उन्होंने कहा- पंजाब में
रहने वाले झारखंड के लोग पंजाबी बोल सकते हैं। यहां के अधिकारी दूसरे राज्यों में
तमिल और कन्नड़ बोल सकते हैं तो आप झारखंड की भाषा क्यों नहीं बोल सकते। फिर
उन्होंने कहा-आप ये नहीं जानेंगे तो दूसरा आपका फायदा उठाएगा। नए अधिकारियों के
लिए यह बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा-राज्य में करीब 2000 लोक सेवक हैं। इनमें 1400 सिविल सर्विसेज के हैं। अगर सभी अधिकारी चाह लें तो हर योजना
धरातल पर उतर जाएगी। लेकिन, हैरानी की बात है
कि 1974-75 की कई योजनाएं भी
अब तक अधूरी हैं।
--- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, झारखंड को बने हुए 22 साल से अधिक हो चुका है, फिर भी झारखंड जहां था, वहीं खड़ा है। यही
वजह है कि झारखंड देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है। जबकि झारखंड में
प्रकृति ने अपार संपदाएं दी हैं। प्राकृतिक सौंदर्य एवं मानव बल भी हमारे राज्य
में है। हमारे पास वैसा कोई कारण नहीं है, जिससे हम पिछड़े राज्यों में शुमार हों।
--- उन्होंने अधिकारियों को
सीख देने के अंदाज में कहा, राजनेता आते-जाते
रहते हैं परंतु आप सभी लोक सेवक लंबे समय तक राज्य की सेवा में कार्यरत रहते हैं।
इसलिए जरूरी है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को निष्ठापूर्वक और ईमानदारी से पूरा
करें। सीएम ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वो जनता के बीच जाएं, उनकी बातों को समझें और फिर उसी के अनुरूप योजनाओं
को लागू करें।
--- मुख्यमंत्री ने किसानों
की हालत पर भी चिंता जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि विजन के अभाव में किसान खेतिहर
मजदूर बन रहे हैं। राज्य में किसानों की संख्या निरंतर घटती जा रही है, वहीं खेतिहर मजदूरों की संख्या बढ़ रही है।
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर हम विकास की लकीर नहीं खींच सकते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों के साथ
छेड़खानी करने का ही नतीजा है कि आज बिन मौसम बारिश, बाढ़, भूकंप, जरूरत से ज्यादा गर्मी आदि प्राकृतिक आपदाएं हमारे
बीच मंडराती रहती हैं। यह बात सही है कि विकास जरूरी है, लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि हमें प्रकृति के
साथ समन्वय बनाकर विकास की ओर ध्यान देना है। उन्होंने अधिकारियों को पर्यावरण का
ध्यान रखने की भी हिदायत दी।