आपको बता दूँ.. संयुक्त निदेशक अजेश्वर प्रसाद सिंह ने गड़बड़ी की जांच की है। उन्होंने 10 अप्रैल को 517 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट कृषि विभाग के सचिव को सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई जिलों में किसानों को घटिया प्रिजर्वेशन यूनिट दी गई है। इसमें करोड़ों रुपए के गबन की आशंका है। रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। हालांकि अभी फाइनल रिपोर्ट आनी बाकी है।
--- दरअसल मामला ये है की.. बागवानी मिशन योजना के तहत किसानों को दो लाख की
एक प्रिजर्वेशन यूनिट देनी थी। इसमें एक लाख रुपए किसानों से लेना था, जबकि एक लाख रुपए सरकार से अनुदान के तहत कंपनियों
को मिलना था। लेकिन, आपूर्तिकर्ताओं ने
किसानों को दो लाख की जगह 25 हजार की घटिया
प्रिजर्वेशन यूनिट बांट दी। नतीजतन कुछ माह बाद ही यूनिट बेकार हो गई। किसानों को
यूनिट चलाने के लिए ट्रेनिंग भी नहीं दी गई।
--- झारखंड में यह योजना 2016-17 से शुरू हुई और वर्ष 2022 तक चली। इसका उद्देश्य किसानों द्वारा उपजाए गए मसाले, सब्जियां और फलों को संरक्षित रखने के लिए
प्रिजर्वेशन इकाई देना था। यह योजना रांची, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, गोड्डा और खूंटी
जिले में चलाई गई। सिर्फ बोकारो में पिछले तीन सालों में 74 किसानों को प्रिजर्वेशन यूनिट दी गई। घटिया यूनिट की
सप्लाई का असर यह हुआ कि सरकार के 18 करोड़ रुपए अनुदान देने में खर्च हो गए और यूनिट भी कंडम हो गई।
--- योजना से जुड़े खूंटी के
एक किसान राम मनोहर ने कहा है कि उन्होंने प्रिजर्वेशन यूनिट के लिए मदद नहीं
मांगी। फिर भी उपकरण घर पहुंचा दिया गया। बाद में पता चला कि यह प्रिजर्वेशन यूनिट
है। फिलहाल यह उपकरण कपड़े सुखाने मेे काम आ रहा है। यूनिट की ट्रेनिंग और
उपयोगिता के लिए किसी ने अब तक संपर्क नहीं किया है।