Breaking News
बांग्‍लादेशी घुसपैठिए के कारण बिहार, बंगाल और झारखंड में मुस्लिमों की आबादी बढ़ रही, कहा- इन राज्‍यों में NRC लागू होना जरूरी  |  विधानसभा पहुंचा 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक, राजभवन ने कुछ बिंदुओं पर पुनर्विचार करने का दिया सुझाव  |  चक्रवाती तूफान 'मिचौंग' से बिगड़ा मौसम का मिजाज, आज इन जिलों में होगी बारिश.. अब ठण्ड बढ़ेंगे.. अलर्ट जारी  |  आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर झारखंड आएंगे.. हजारीबाग में BSF के Raising Day परेड में शामिल होंगे.. पुलिस अलर्ट..  |  पहली बार झारखंड आ रहे हैं बागेश्वर धाम सरकार.. दिव्य दरबार सजेगा और हनुमंत कथा का आयोजन होगा.. स्वीकृति मिली..  |  रद्द हुआ बाबा बागेश्वर का कार्यक्रम.. जिला प्रशासन ने नहीं दी इजाजत.. अब कोर्ट जाएंगे भाजपा विधायक..  |  सर्वश्रेष्‍ठ विधायक : रामचंद्र सिंह, लोगों की भलाई की रहती है फिक्र.. यूं ही नहीं सर्वश्रेष्‍ठ विधायक चुने गए रामचंद्र सिंह.  |  झारखंड बोर्ड का बड़ा फैसला, 10वीं-12वीं की परीक्षा के लिए इन जगहों पर नहीं बनाए जाएंगे सेंटर  |  रिलेशनशिप : लड़कियां रोमांटिक पार्टनर से ज्यादा दोस्त को तवज्जो देतीं हैं.. आपका बेस्ट फ्रेंड आपका रोमांटिक पार्टनर बन सकता है.. इन 5 बातों का रखें ध्यान  |  19 साल बाद आया टाटा ग्रुप का IPO... एक घंटे में ही सब्सक्राइब पूरा हो गया.. लिस्टिंग डे पर 70% रिटर्न मिल सकता है  |  
महिला जगत

उमेश कुमार झा, झारखण्ड लाइफ। 28/03/2023 :
60 गांव की 500 महिला किसान सौर ऊर्जा से खेतों की सिंचाई कर हर साल आठ लाख रुपये का डीजल बचाती हैं
 
देवघर के पालोजोरी प्रखंड में 60 गांव की 500 महिला किसान सौर ऊर्जा से खेतों की सिंचाई कर हर साल आठ लाख रुपये का डीजल बचाती हैं। उनके मन में खुशी है कि वे पर्यावरण की सुरक्षा कर रही हैं। यह प्रयोग वर्ष 2020 से शुरू हुआ।

ये महिलाएं कहती हैं कि सिंचाई के लिए डीजल नहीं जलेगा तो कार्बन उत्सर्जन थमेगा। हमारी पहल छोटी सी है, मगर हर इंसान ऐसे प्रयास करे तो हमारे पर्यावरण की सुरक्षा होगी। ओजोन गैस की चादर को खतरा कम होता जाएगा।

दरअसल, महिला समूहों के फेडरेशन सृष्टि और जागृति ने इन महिला किसानों को सौर ऊर्जा से सिंचाई के बारे में बताया। तब इन्होंने भी सौर ऊर्जा से सिंचाई की हामी भरी। इसके बाद नीड्स संस्था ने सिनी टाटा ट्रस्ट से 60 गांवों में सोलर सिस्टम लगवाने में महिला समूहों को वित्तीय मदद दिलाई। एक यूनिट की कीमत सात लाख रुपये है। एक चौथाई राशि लाभुक समूह ने दी। महिला किसानों ने सौर ऊर्जा से संचालित पंप चलाना भी सीखा।

यहां के 60 गांव में सोलर पंप लगे हैं। पहले इन गांवों में करीब 120 एकड़ में एक फसल की ही खेती होती थी। सिंचाई आसान हुई तो 330 एकड़ में तीनों फसल में खेती होने लगी। ---- खास बात ये है कि सब्जी आदि की फसलों के कारण नकद आय भी होती है। कुएं से मोटर पंप से पानी निकाल सिंचाई में प्रयोग होता है। सात लाख रुपये से पंप सेट, खेत तक पाइप, बाड़ी की घेराबंदी की गई है।

बाघमारा हरला डंगाल गांव की नकोली देवी, वीणा देवी, गीता देवी, गोली देवी समेत दस महिलाओं का खेत एक जगह है। पांच एकड़ में इनकी खेती है। सभी खेती खुद करती हैं। सिंचाई ही साथ में करती हैं।

नकोली देवी ने बताया कि दो एचपी के सोलर पंप से सिंचाई करते हैं। अब तो आमदनी भी बढ़ गई है। पानी जो समय पर मिल जाता है। डेढ़ एकड़ में मिर्च, बैगन, टमाटर, कद्दू, करेला, भिंडी लगाकर सालाना एक लाख से अधिक की आमदनी कर लेते हैं। आमदनी से ज्यादा खुशी इस बात की है कि हम अब डीजल नहीं जलाते, सूरज की गर्मी का प्रयोग कर लेते हैं।

पहले दस हजार रुपये डीजल में ही खर्च होते थे, जो बच रहे हैं। वातावरण भी शुद्ध रहता है। वीणा देवी एक एकड़ में खेती करती हैं। कहती हैं कि वे अब बहुत खुशहाल हैं।सृष्टि फेडरेशन की अध्यक्ष  सुनीता देवी और जागृति फेडरेशन की अध्यक्ष वीणा सुरी किस्कू हैं। यह दोनों फेडरेशन महिला किसानों को आगे बढ़ाने का काम करते हैं, ताकि उनकी आय बढ़े और महिलाएं स्वावलंबी बनें।

पंप में प्रति यूनिट 70 फीसद अनुदान दिया जाता है। 30 फीसद लाभुक को चुकाना होता है। इसमें महिला समूह दस प्रतिशत नकद देते हैं, जबकि 20 फीसद फेडरेशन से ऋण मिल जाता है, जिसे 30 महीने में प्रतिमाह चार हजार रुपये की किस्त के रूप में चुकाना होता है।

नीड्स, देवघर के कार्यकारी निदेशक मुरारी मोहन चौधरी, कहते है की.. सोलर पंप की जगह डीजल पंप सेट से खेती होती तो 330 एकड़ में सिंचाई करने में कम से कम आठ लाख रुपये सालाना डीजल पर खर्च होते। कार्बन उत्सर्जन से वातावरण प्रदूषित होता। सौर ऊर्जा के प्रयोग से हो रही सिंचाई से खेती का दायरा बढ़ा है, प्रदूषण घटा है। खर्च कम हुआ है। महिला किसानों की आमदनी बढ़ी है।



झारखंड की बड़ी ख़बरें
»»
Video
»»
संपादकीय
»»
विशेष
»»
साक्षात्कार
»»
पर्यटन
»»


Copyright @ Jharkhand Life
')