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विशेष

उमेश कुमार झा, झारखण्ड लाइफ। 22/03/2023 :17:53
विशेष : आज 22 मार्च को देश भर में हिन्दू नववर्ष क्यूँ मनाया जा रहा है? हिन्दू नववर्ष क्यूँ है खास? क्यूँ अंग्रेजी साल के 2023 को लोग नव वर्ष 2080 सेलिब्रेट कर रहे है?
 
जब आप अंग्रेजी कैलेंडर देखते हैं तो उसके ऊपर Year लिखा होता. उसी तरह से हिंदू कैलेंडर यानी हिंदू पंचांग पर भी विक्रम संवत लिखा होता है. कभी सोचा है आपने पंचांग पर विक्रम संवत क्‍यों लिखा जाता है और अगर ये साल 2023 का है तो हिंदू कैलेंडर पर विक्रम संवत 2080 क्‍यों लिखा जा रहा है? क्या है आज के दिन का विशेष महत्व? क्यूँ चैत्र माह पौराणिक धार्मिक अध्यात्मिक वैज्ञानिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी महतवपूर्ण माना जाता है? क्या है इसका सांस्कृतिक पौराणिक इतिहास? जानिए विस्तार से..


आज हिंदू नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा.. विक्रम संवत 2080 है। आपको बता दूँ.. विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है। भारत में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग है। नेपाल सरकार संवत् के रुप मे विक्रम संवत् ही चला आ रहा है। विक्रम संवत की शुरुआत अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल पहले ही हो गई थी, इसलिए ये आज भी अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे है. जब आप ईस्वी सन् 2023 में 57 जोड़ेंगे तो  2080 यानी विक्रमी संवत् आ जायेगा.. इसमें चन्द्र मास एवं सौर नक्षत्र वर्ष का उपयोग किया जाता है।


माना जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईशा पूर्व इसका प्रचलन आरम्भ कराया था... उस समय सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराह-मिहिर थे. उनकी मदद से इसे तैयार किया गया और इसके प्रचार प्रसार में काफी मदद मिली. फिर राजा विक्रमादित्‍य के नाम से ही इसे विक्रम संवत कहा जाने लगा. जिसमें संवत का अर्थ साल से होता है. विक्रम संवत से पहले भी हिंदू पंचांग चला करता था. शुरुआत में ये ऋषि मुनियों के नाम पर होता था. उसके बाद द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्‍ण के नाम से संवत चलने लगा. श्रीकृष्ण संवत के करीब 3000 साल बाद विक्रम संवत की शुरुआत हुई, जो आज तक प्रचलित है. और विक्रम संवत को बेहद सटीक माना जाता है.


हर साल चैत्र मास की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का पर्व शुरू होता है और इसी दिन से हिंन्‍दू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है. इस बार 22 मार्च से चैत्र नवरात्री शुरू हो रही है.. इस नवरात्री में देवी दुर्गा की नौ रूपों की नौ दिनों में पूजा की जाती है। यह आज 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च, गुरुवार को समाप्त होगी. इस नवरात्री का आखिरी दिन रामनवमी होता है यांनी श्री राम का जन्मदिन.. जिसकी वजह से कुछ लोग इसे राम नवरात्रि भी कहते हैं। चैत्र नवरात्री का पहला दिन हिन्दू नव वर्ष के रूप में पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है.. और यह नववर्ष भारत के साथ-साथ नेपाल, मॉरीशस, त्रिनिदाद, टोबैगो और कई अन्य देशों में जहां जहाँ महत्वपूर्ण हिंदू आबादी है वहां वहां मनाया जाता है.


इस अवसर पर नववर्ष का स्वागत केवल मानव ही नहीं पूरी प्रकृति कर रही होती है। ॠतुराज वसंत प्रकृति को अपने आगोश में ले चुके होते हैं, पेड़ों की टहनियां नई पत्तियों के साथ इठला रही होती हैं, पौधे फूलों से लदे इतरा रहे होते हैं। खेत सरसों के पीले फूलों की चादर से ढंके होते हैं। किसलयों का प्रस्फुटन, नवचैतन्य, नवोत्थान, नवजीवन का प्रारंभ मधुमास के रूप में प्रकृति नया श्रृंगार करती है। कोयल की कूक वातावरण में अमृत घोल रही होती है। मानो दुल्हन सी सजी धरती पर कोयल की मधुर वाणी शहनाई सा रस घोलकर नवरात्रि में मां के धरती पर आगमन की प्रतीक्षा कर रही हो।


हिंदू नववर्ष पूर्णतः वैज्ञानिक, शाश्वत और तथ्य पर आधारित है। आज की तिथि का शास्त्रों में विशेष महत्व है। इस तिथि से ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्माजी ने इस दिन सम्पूर्ण सृष्टि और लोकों का सृजन किया था। ब्रह्म पुराण में वर्णन है 


'चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि।

शुक्ल पक्षे समग्रेतु सदा सूर्योदये सति।' 


अर्थात ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की। इस शुक्ल प्रतिपदा को सुदी भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका का सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। फिर प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।  आज से ही नौ दिवसीय चैत्र नवरात्र यानि वासंतिक नवरात्र का प्रारंभ होता है। इसमें सनातन समाज शक्ति की उपासना हेतु भक्ति में लीन होता है।


आज के दिन का विशेष महत्व क्या है?

  • आज के दिन शकारि विक्रमादित्य ने परकीय विदेशी आक्रमणकारी शको से भारत को मुक्त करा कर नए विक्रमी   संवत का प्रारंभ किया था।
  • आज के दिन ही त्रेतायुग में प्रभु रामचंद्र जी ने राक्षसी आतंक का नाश और अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त कर रामराज्य की स्थापना की और आज की तिथि को ही उनका राज्याभिषेक हुआ था
  • चैत्र माह की शुरुआत शुक्ल प्रतिपदा से होती है यह कल्पादि तिथि है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही सत युग का प्रारंभ माना जाता है। इसलिए इस दिन से ही सभी को नववर्ष की बधाईं देनी चाहिए...आज के दिन  महाभारत के धर्म युद्ध में सत्य की विजय हुई और द्वापरयुग में आज ही के दिन युधिष्ठिर का राज्याभिषेक और युधिष्ठिर संवत का प्रारंभ हुआ था।
  • आज के दिन ग्रह और नक्षत्र में भी परिवर्तन होता है।
  • आज के दिन कलश स्थापना कर चैत्र नवरात्री की शुरुवात की जाती है..
  •  इसके अलावा आज के दिन ही महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी।
  • आज वर्ष प्रतिपदा के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. केशव राव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था ।
  • आज के दिन संघ की शाखाओं में आद्य सरसंघचालक प्रणाम दिया जाता है।
  • आज के दिन संत झूलेलाल और सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगद देव का जन्म हुआ था।
  • आज के दिन से ही राजस्थान में भगवान गौर और गणेश की पूजा तीन दिनों तक की जाती है।
  • हिंदू नववर्ष यानी आज के दिन से ही महाराष्ट्र, कोंकण और गोवा के क्षेत्र में गुड़ी पड़वा, आंध्रप्रदेश,कर्नाटक, तेलंगाना में उगादी, राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में थापना एवं सिंधी क्षेत्र में चेती चांद केरल में 'विशु', असम में 'रोंगली बिहू' और जम्मू -कश्मीर में नवरेह नाम से मनाया जाता है।
  • आज का दिन बिहार में बिहार दिवस, और विश्व भर में विश्व जल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है


आपको बता दूँ.. प्राचीन काल में दुनिया भर में मार्च को ही वर्ष का पहला महीना माना जाता था। आज भी बहीखाते का नवीनीकरण और मंगल कार्य की शुरुआत मार्च में ही होती है। ज्योतिष विद्या में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है। मार्च से ही सूर्य मास अनुसार मेष राशि की शुरुआत भी मानी गई है।

चैत्र माह की शुरुआत कैसे होती है? दर असल अमावस्या के पश्चात चंद्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास 'चित्रा' नक्षत्र के कारण 'चैत्र' कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं।
 
चैत्र माह की शुरुआत शुक्ल प्रतिपदा से होती है यह कल्पादि तिथि है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से ही सत युग का प्रारंभ माना जाता है। इसलिए इस दिन से ही सभी को नववर्ष की बधाईं देनी चाहिए...



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