गर्मी आते ही पेयजल की समस्या
शुरू हो जाती है। नगर निगम ने इससे निपटने के लिए पेयजल विभाग और झमाडा यानी झारखंड
खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार.. के साथ मिलकर व्यापक स्तर पर योजना बनाई है। इसके
साथ ही नोटिस भेजकर वाटर टैक्स नहीं देने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है। इसमें
बड़ी खबर ये है की टैक्स नहीं देने वालों में रेलवे भी शामिल है। अकेले रेलवे पर ही
धनबाद नगर निगम का नौ करोड़ का वाटर टैक्स बकाया है। जिसको लेकर railway को कई बार
नोटिस भी भेजा गया है।
आपको बता दूँ पिछले वर्ष रेलवे ने 57 लाख 21 हजार 628 रुपये का टैक्स भरा था, और
अभी भी
नौ करोड़ 36 लाख 77 हजार 427 रुपये बाकी है। इस बार फिर से नगर निगम ने रेलवे को नोटिस भेजकर
बकाया राशि जमा करने की बात कही, निगम ने पिछले महीने रेलवे को नोटिस भेजकर पैसे
जमा करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद रेलवे के अधिकारियों
ने निगम में आकर पैसे देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक निगम को बकाया
नहीं मिल पाया है। पेयजल विभाग ने काफी पहले मेन राइजिंग पाइप से रेलवे को पानी का
कनेक्शन दिया था।
नगर निगम के अनुसार रेलवे को होल्डिंग टैक्स भी जमा करना है।
इसके लिए भी कई बार नोटिस भेजा जा चुका है। धनबाद नगर निगम का कहना है कि 1978 तक रेलवे धनबाद नगरपालिका को
प्रतिवर्ष तीन लाख 55 हजार रुपये होल्डिंग टैक्स देता रहा है। रेलवे अपने 377 क्वार्टर और 60 कार्यालय का टैक्स जमा करता आया
है। इसके बाद टैक्स देना बंद कर दिया। रेलवे ने ऐसा किस परिस्थिति में किया, इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही
है।
धनबाद नगर निगम ने टैक्स को लेकर रेलवे के साथ पहले पत्राचार
किया। नगर निगम ने रेलवे से कहा था कि झारखंड नगरपालिका संपत्ति कर नियमावली 2013 के अनुसार राज्य एवं केंद्र
सरकार के कार्यालयों को हाेल्डिंग (यानी प्रापर्टी) टैक्स देना अनिवार्य है।
नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र
में आप निगम की सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं तो टैक्स देना होगा। सभी को होल्डिंग
एवं वाटर टैक्स जमा करने के लिए समय-समय पर नोटिस भेजा जाता है। जो की एक सतत
प्रक्रिया है।