सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी ने लोगों से अपील कि है चिकन पॉक्स होने के बाद वे झाड़-फूंक के चक्कर में ना पड़े, डॉक्टर से इलाज करवाएं। हर CHC यानी Community Health Center, PHC यानी primary health care और सरकारी अस्पाल में इसका इलाज मुफ्त हो रहा है। दूसरी तरफ डॉक्टर्स का कहना है कि इस मौसम में ऐसी बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। गांव में ऐसी बीमारी को ज्यादातर लोग किसी और नजरिए से भी देखते हैं। लोगों को झाड़-फूंक के चक्कर में ना पड़ने और सही मेडिकल उपचार कराने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। गांव में अक्सर लोग झाड़ फूंक के चक्कर में फंसते हैं जिससे इसका असर और बढ़ जाता है।
बदलते मौसम की
वजह से कई इलाकों में चिकन पॉक्स की बीमारी होती है। जिला सर्विलांस विभाग के
अनुसार, अबतक चिकन पॉक्स के जितने भी
मामले आए हैं, उनके मरीजों की उम्र सीमा पांच
से लेकर 30 वर्ष तक की है।
आपको बता दूँ की जिन्हें चिकन
पॉक्स होता है उन्हें अलग रहने की जरूरत है ताकि दूसरे लोगों तक यह बीमारी ना फैले।
जिले में बीते 20 दिनों में चिकन पॉक्स की चपेट
में करीब दो सौ लोग आ चुके हैं। पोटका के तीन टोले में एक साथ चिकन पॉक्स फैला था, जिसमें 70 लोग संक्रमित मिले थे।
इसके लक्षण है
की मरीजों को बुखार, उल्टी और कमजोरी होगी। इसके साथ
ही पूरे शरीर में फोड़ निकलने शुरू हो जाते हैं। मरीज के शरीर में तेज दर्द होता
है, लाल दाने निकलने लगते हैं, जिसमें पानी भर जाता है।