जिला प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने की पूरी रणनीति सावन माह की तरह ही बनाई है। दो दिन पहले से ही कतारबद्ध सिस्टम से पूजा-अर्चना कराई जा रही है। बाबा तक पहुंचने वाला कांवरिया पथ गेरूआमय हो गया है। भीड़ को देखते हुए दंडाधिकारी एवं पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति भी कर दी गई है। उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने कहा कि सवा लाख से अधिक भक्त बसंत पंचमी के दिन देवघर में रहेंगे। कतार व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किया गया है। शीघ्रदर्शनम की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी। पांच सौ रुपए देकर कोई भी कांवरिया शीघ्रदर्शन कर सकता है।
मिथिलावासी आज से नहीं, सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। भारतीय सभ्यता की थाथी में (धी) बेटी और सवासिन (बहन) का मायके के धन पर अंश है। यह परंपरा है...। बाबा बैद्यनाथ को तिलक चढ़ाने के पीछे भी यही कहानी है। तिरहुत यानि मिथिलांचल, हिमालय की तराई में बसा है। यहां के लोगों का मानना है कि हमलोग हिम राजा की प्रजा हैं और पार्वती हिमालय की बेटी हैं। मिथिलावासी अपने को लड़की पक्ष का मानते हैं और बसंत पंचमी के दिन बाबा को तिलक चढ़ाकर फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को बारात लेकर आने का न्यौता देते हैं। यही परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है।