आज शुरू होगा चावल धुआं के साथ महापर्व टुसू : आखाइन जतरा से शुभ कार्य की होगी शुरुआत
आखाइन जतरा से शुभ कार्य की होगी शुरुआत: आदिवासी-मूलवासी 15 जनवरी को आखाइन जातरा मनाएंगे। पहला माघ को ‘आखाइन जातरा’ के रूप में मनाया जाता है। साल की शुरुआत मानकर इस दिन से ही सारे शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। इस दिन से ही पहला हल चलाकर खेती की शुरुआत की जाती है, जिसे ‘हालपुनहा’ कहते हैं। इस दिन वधु को भी देखने का चलन है। बाउंडी के दिन शाम में गुड़-पीठा व छांका-पीठा तैयार किया जाएगा। आदिवासी-मूलवासी 15 जनवरी को आखाइन जातरा मनाएंगे।
गांव में पर्व को लेकर दीवारों पर उकेरी आदिवासी संस्कृति
टुसू गीतों से इन दिनों शहर से लेकर गांव-देहात तक गूंज रहा है। शुक्रवार से बाउंडी उत्सव के साथ मकर अर्थात टुसू पर्व का आगाज हो जाएगा। साल का पहला व आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार मकर संक्रांति-टुसू पर्व की तैयारी अंतिम चरण में है। इस बार भव्य मेला लगेगा और जमकर मुर्गा लड़ाई होगी। मकर पर्व को शुक्रवार काे चावल धुआं के साथ पर्व शुरू होगा।
इसमें अरवा चावल कूटकर आटा बनाते हैं, जिससे गुड़-पीठा बनता है। बाउंडी पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सभी घरों में पीठा बनाया जाता है। घर के सभी लोग साथ बैठकर पीठा खाते हैं। मकर संक्रांति के दिन टुसू प्रतिमा और चौड़ल का विसर्जन किया जाता है। गांव की महिलाएं-लड़कियां और बच्चे समूह बनाकर नदी या तलाब पर टुसू गीत गाते हुए पहुंचते हैं।
इन जगहों पर लगेगा मेला
दोमुहानी, सोनारी, कमफूटा, भुइयांडीह, भिलाई पहाड़ी, सिमुलडांगा, सिमुलडांगा कन्याडुबा, घोड़ाबांधा, जयदा, मनपीटा, बिरसानगर संडे मार्केट, पीपला, जयदा, बड़ाबांकी, लुपुंगडीह, डोरेन सिंह स्मृति टुसू मेला भादुडीह, धानचटानी, डोरेन सिंह स्मृति टुसू मेला भादुडीह, गोपाल मैदान बिष्टुपुर, खैरबनी, बिरसानगर कुआं मैदान।
इस दिन वधु को भी देखने का चलन है
पहला माघ को ‘आखाइन जातरा’ के रूप में मनाया जाता है। साल की शुरुआत मानकर इस दिन से ही सारे शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। इस दिन से ही पहला हल चलाकर खेती की शुरुआत की जाती है, जिसे ‘हालपुनहा’ कहते हैं। इस दिन वधु को भी देखने का चलन है। बाउंडी के दिन शाम में गुड़-पीठा व छांका-पीठा तैयार किया जाएगा।