BJP के विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ऐलान किया है कि वे शहीद के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाएंगे
शिक्षा से लेकर भोजन तक की व्यवस्था वो खुद कराएंगे। इस दौरान रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा- "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम विधायिका की सुरक्षा कैसे करते हैं। विधायका जितनी कमजोर होगी कार्यपालिका उतनी ही निरंकुश होगी। कार्यपालिका को अपने कार्यों के प्रति उत्तरदायी बनाने से ही विधायिका की गरिमा बढ़ेगी और लोकतंत्र के प्रति जनता में विश्वास बना रहेगा।'
उत्कृष्ट विधायक चुने जाने के बाद विश्रामपुर से BJP के विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने विधानसभा परिसर में आयोजित विधानसभा स्थापना दिवस के अवसर पर ऐलान किया है कि वे शहीद के बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाएंगे। वे उन्हें प्राइमरी से लेकर इंजीनयरिंग तक की शिक्षा फ्री में कराएंगे। वे अपने ट्रस्ट के माध्यम से उन्हें शिक्षित बनाएंगे।
शिक्षा से लेकर भोजन तक की व्यवस्था वो खुद कराएंगे। इस दौरान रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा- "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम विधायिका की सुरक्षा कैसे करते हैं। विधायका जितनी कमजोर होगी कार्यपालिका उतनी ही निरंकुश होगी। कार्यपालिका को अपने कार्यों के प्रति उत्तरदायी बनाने से ही विधायिका की गरिमा बढ़ेगी और लोकतंत्र के प्रति जनता में विश्वास बना रहेगा।'
इस दौरान उन्होंने कहा-"उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्ष देखे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों दलों के विधायक रहे हैं। मेरी प्राथमिकता हमेशा विधानसभा की गरिमा को बनाए रखना और जनता की निष्ठा पर खरे उतरना रहा है।' विधायका में जनता का सम्मान रखना सबसे बड़ी चुनौती है BJP विधायक ने कहा कि अगर विधानसभा में अव्यवस्था में उत्पन्न करेंगे तो अपनी बात नहीं रख पाएंगे।
विधानसभा में व्यवधान उत्पन्न नहीं हो इसका ख्याल हम सबको रखना चाहिए। ताकि हम जनता का सम्मान रख सकें. आज के विधायक और विधायका में जनता का सम्मान रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम कैसे इसकी सुरक्षा करते हैं। सहति और असहति लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। सभा बिना बाधा के कैसे चले हम सब की जवाबदेही है।
ज्योतिष की बात मानकर राजनीति में आए थे चंद्रवंशी रामचंद्र ज्याेतिष की सलाह पर 1985 में राजनीति में आए। 1985 से ही वे चुनाव लड़ रहे हैं। वे अविभाजित बिहार में भी विधायक बने थे। इसके बाद लगातार कई बार विधायक और मंत्री बने। उत्कृष्ट विधायक सम्मान के लिए चुने जाने के बाद दैनिक भास्कर से अपनी कहानी शेयर करते हुए कहा कि वे 1985 में बनारस गए थे।
पूजा-पाठ के बाद उन्हाेंने बनारस में ज्योतिषी नीलकंठ शास्त्री को अपना हाथ दिखाया। उन्हाेंने हाथ देखते ही कहा, ‘अरे भाई तुम नाैकरी में बड़ा बाबू का काम क्याें कर रहे हाे। तुम्हारी हाथाें की रेखा बताती है कि तुम्हें राजनीति में काफी ऊपर तक जाना है।