आधुनिक युग में “रूढ़िवादी आदिवासी” की क्या परिभाषा है ? आइए आदिवासी रूढ़िवादी प्रथा यानी “कस्टमरी लॉ” को समझते हैं –
रूढ़िजन्य सामाजिक प्रथा- जन्म , मृत्यु , शादी , इत्यादि , से संबंधित हैं
रूढ़िवादी धार्मिक प्रथा – आदि धर्म या सरना धर्म से संबंधित है
रूढ़िवादी आदिवासी कौन है ? जो उपरोक्त रूढ़िवादी धार्मिक तथा रूढ़िवादी सामाजिक प्रथाओं का पालन करता है , वही रूढ़िवादी आदिवासी है
क्या रूढ़िवादी आदिवासी की पहचान केवल उसके गोत्र से तय होती है ? नहीं , रूढ़िवादी आदिवासी केवल एक नस्ल मात्र नहीं है । यह ग़लत धारणा है । बल्कि उसकी पहचान उसके सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं से होती है ।
पेसा क़ानून का धारा 4(क) क्या है ? धारा 4(क) रूढ़िजन्य रीति , धार्मिक एवं सामाजिक प्रथा को संरक्षण देता है । पेसा क़ानून आदिवासी पारंपरिक व्यवस्था के “कस्टमरी लॉ” को पहचान देता है ।
आधुनिक युग का रूढ़िवादी आदिवासी पर क्या प्रभाव है ? आज के रूढ़िवादी आदिवासी अंग्रेजी बोलते हैं, मॉडर्न कपड़े भी पहनते हैं , बाहर यात्रा भी करते हैं तथा खेती के अलावा व्यापार ,नौकरी , इत्यादि ,भी करते हैं । किंतु , जब तक वह आदिवासी समाज के सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं का पालन करते है , तब तक वह “रूढ़िवादी आदिवासी” कहलाते है
(pic: उराँव आदिवासी समाज के रूढ़िवादी धार्मिक प्रथा )