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पिछड़ा वर्ग आयोग फैला रही भ्रम, आरक्षण छीना तो फिर उतरेंगे सड़क पर : महेश्वर साहु

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Ranchi Life News : राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग एवं राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के संयुक्त तत्वावधान में 2 जुलाई को रांची के स्टेट गेस्ट हॉऊस में आहूत जन सुनवाई कार्यक्रम से झारखंड के ओबीसी वर्ग में आने वाले कई वैश्य उप जातियों में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। साथ ही कई ऐसे सवालों को जन्म दे दिया है कि राष्ट्रीय एवं राज्य आयोग शक के दायरे में आ गए हैं। उक्त बातें झारखंड प्रदेश वैश्य मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष महेश्वर साहु ने रांची के रेडियम रोड़ स्थित होटल आलोका के सभागार में प्रेस कॉन्फ्रेंस कहीं। उन्होंने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से जो अखबारों में ‘जन सुनवाई नोटिस’ प्रकाशित कारवाई गयी थी, उसमें विभिन्न ओबीसी जातियों, जिसमें वैश्य समाज के कई जातियों- तेली, सूंडी, शौंडिक, बियाहुत कलवार, जायसवाल, वर्णवाल, कसोधन, ओमर/ उमर वैश्य, स्वर्णकार, माहुरी, कमलापुरी आदि के वर्ग समूह या प्रतिनिधि को बुलाया गया था कि वे आ कर अपना पक्ष रखें, ताकि उनकी जाति को ओबीसी के सेंट्रल लिस्ट में शामिल किया जा सके। अब सवाल यह उठता है कि इनमें से कई वैश्य उप जातियों- सूंडी, शौंडिक, कलवार, स्वर्णकार आदि को 08.12.2011 या इससे पहले एवं बाद में ओबीसी के सेंट्रल लिस्ट में शामिल किया गया है तो फिर इन जातियों को बुला कर क्या बताना चाहता है आयोग? क्या इन ओबीसी जातियों को सेंट्रल लिस्ट से हटा दिया गया है? या हटाने की योजना है? आखिर क्या कारण है कि यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है? क्या एक बार फिर वैश्य समाज की जातियों को राज्य और केंद्रीय सूची से हटा कर आरक्षण के लाभ से वंचित करने की योजना है? मालूम हो कि 2011 के प्रथम माह में झारखंड के 25 वैश्य उप जातियों को ओबीसी के सेंट्रल लिस्ट से हटा कर आरक्षण के लाभ से वंचित कर दिया गया था। तब वैश्य मोर्चा ने काफी लंबी लड़ाई लड़ कर 12 वैश्य उप जातियों- सूंडी (शौंडिक), हलवाई, पंसारी, रौनियार, मोदी, कसेरा, केशरवानी (केशरी), ठठेरा, पटवा, सिंदूरिया बनिया, अवध बनिया, अग्रहरि, कलवार, बढ़ई को शामिल कराने में सफलता प्राप्त किया था। 08.12.2012 को पुनः जारी सूची के क्रमांक-122 में शामिल किया गया था, जिसमें सूंडी, शौंडिक, कलवार, स्वर्णकार आदि थे। झारखंड में भी वैश्य समाज की इन उप जातियों को ओबीसी के अनुसूची-1 में रखा गया है। साहु ने कहा कि झारखंड प्रदेश वैश्य मोर्चा इस पूरे प्रकरण को एक साजिश मानते हुए इसका पुरजोर विरोध करती है। वैश्य मोर्चा मानती है कि यह हमारे संवैधानिक अधिकार एवं आरक्षण को छीनने की साजिश है। इससे वैश्य समाज और ओबीसी के छात्रों एवं नौकरी के अभ्यर्थियों को आरक्षण के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है। अगर इसका तुरंत प्रतिकार और रचे जा रहे साजिश का पर्दाफाश नहीं किया गया तो वैश्यों, ओबीसी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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