आन्ध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर या तिरुपति मंदिर के प्रसादम लड्डू में जानवर की चर्वी मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इसके लिए एक स्वतंत्र SIT बनाने का निर्देश दिया है, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति भूषण आर गवईं और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की दो सदस्यीय बेंच ने मामले में सीबीआई निदेशक की देख रेख में पांच सदस्यीय विशेष जाँच दल (SIT ) बनांने का निर्देश दिया.जाँच दल में दो सदस्य सीबीआई के अधिकारी,दो सदस्य आन्ध्र प्रदेश पुलिस से और एक सदस्य Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI )को रखने का प्रावधान रखा गया है.कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामले में कोर्ट को राजनितिक अखाड़ा बनाने की अनुमति कभी नहीं दी जा सकती है इसीलिए इस SIT को जाँच का जिम्मा सौपने का निर्णय लिया गया है.कोर्ट ने आगे स्पष्ट किया कि ताज़ा निर्णय को राज्य सरकार द्वारा गठित SIT की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के खिलाफ नहीं समझा जाना चाहिए. यह निर्णय उस धार्मिक स्थल से जुड़े करोड़ों लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए लिया गया है.
दरअसल यह मामला 18 सितम्बर को आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमन्त्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा राज्य की पूर्ववर्ती सरकार पर तिरुपति मंदिर प्रसादम लड्डू में जानवर की चरवी युक्त घटिया घी के इस्तेमाल का आरोप लगा दिया गया था .मुख्यमन्त्री के इस व्यान से पुरे प्रदेश में विरोध शुरू हो गया था.नायडू के विरोधी YSR Congress ने भी इसका कड़ा विरोध करते हुए राजनितिक लाभ के लिए धार्मिक भावना भड़काने का गंभीर आरोप चन्द्र बाबु नायडू पर लगाया था.आरोप प्रत्यारोप के बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुच गया था.
तिरुपति मंदिर के प्रसादम लड्डू से करोड़ों लोगो की आस्था जुडी हुई है.प्रतिदिन तक़रीबन 90 हज़ार श्रद्धालु मंदिर पहुँचते हैं और यह प्रसाद ग्रहण करते हैं.बताया जाता है कि मंदिर में प्रति माह 10 मिलियन लड्डू की बिक्री की जाती है जिससे 500 करोड़ रूपये की आमदनी मंदिर प्रबंधन को होती है.