भूमि संरक्षण विभाग द्वारा 200 गुना 200 फीट लंबाई व चौड़ाई में 12 फीट गहराई के तालाब के निर्माण
के लिए 10 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाया जाता है, लेकिन यहां उतने ही क्षेत्रफल
को मात्र पांच फीट गहरा करने के लिए 25 लाख रुपए का एस्टीमेट बना दिया
गया। वह भी तब जब तालाब वहां पहले से मौजूद है। एस्टीमेट में तालाब से निकलने वाली
मिट्टी को दूर फेंकने का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा, तालाब में मौजूद पानी को भी
सुखाने के लिए राशि का प्रावधान किया गया था।
25 लाख रुपए के एस्टीमेट में भी
पांच फीट की जगह तीन फीट ही खुदाई की गई थी। ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत नगर
पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी, उपायुक्त व अन्य पदाधिकारियों से की। शिकायत के बाद सेंसर ने
फिर jcb मशीन लगाकर तालाब को पांच फीट गहरा करा दिया है।
मामला संज्ञान में आने के बाद उपायुक्त ने कार्यपालक
पदाधिकारी देवराज गुप्ता से मामले की जांच रिपोर्ट मांगी थी। देवराज गुप्ता ने तीन
सदस्यीय जांच टीम का गठन किया था। इसमें सहायक अभियंता अरविंद मुर्मू, कनीय अभियंता प्रेम कुमार व नगर
पंचायत के पदाधिकारी विजय कुमार शामिल थे। जांच रिपोर्ट उपायुक्त को उपलब्ध करा दी
गई है, जिससे वह
संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कही है।