सभ्य समाज में एकतरफा शिकायत पर गिरफ्तारी गलत : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति कानून पर हाल के अपने फैसले को उचित बताते हुए कहा कि एकतरफा शकायत पर किसी को गिरफ्तार करना अनुचित है और इसका अर्थ है कि हम सभ्य समाज में नहीं रह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि संसद भी नागरिकों से जीवन जीने के अधिकार नहीं छीन सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च के आदेश को लेकर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर अंतरिम आदेश देने से इनकार किया है। अदालत ने इस मामले पर जुलाई में विस्तार से सुनवाई करने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा कि एक पक्ष की शिकायत पर यदि किसी नागरिक पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी रहे, तो इसका मतलब हम सभ्य समाज में नहीं जी रहे हैं। उचित प्रक्रिया अपनाए बिना गिरफ्तारी पर संसद ने भी रोक लगा रखी है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के अदालत से 20 मार्च के अपने फैसले पर पुनर्विचार के आग्रह पर पीठ ने यह टिह्रश्वपणी की। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अदालत वैकल्पिक कानून नहीं बना सकती। पीठ ने कहा कि अनुच्छेद-21 (जीवन जीने व स्वच्छंदता का अधिकार) को कानून के हर प्रावधानों के साथ जोडक़र पढऩे की जरूरत है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अनुच्छेद-21 का दायरा बढ़ गया है।