झरिया अग्नि प्रभावित के रैयतों के लिए संशोधित प्रस्ताव, जमीन नहीं लेने पर पांच लाख का मिलेगा भुगतान
झरिया अग्नि प्रभावित क्षेत्र के रैयत अगर अपना घर खुद बनाने के इच्छुक हैं तो बीसीसीएल की ओर से उन्हें जमीन उपलब्ध कराई जाएगी और अगर वे जमीन लेने से भी इंकार कर देते हैं तो उन्हें पांच लाख तक का मुआवजा दिया जाएगा।
झरिया अग्नि प्रभावित क्षेत्र के रैयत अगर अपना घर स्वयं तैयार करना चाहते है तो इसके लिए बीसीसीएल जमीन उपलब्ध कराएगी। जमीन नहीं लेने पर उन्हें पांच लाख का मुआवजा भी मिलेगा। संशोधित प्लान के ड्राफ्ट रिपोर्ट में यह प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट कमेटी ने अपनी अनुमित भी दे दी है। केवल अब अधिसूचना जारी होना बाकी है। ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट को ही सैद्धांतिक रूप से मान लिया गया है। पहले सौ स्क्वायर मीटर या 40 स्क्वायर मीटर का बना आवास दिए जाने के साथ-साथ पांच सौ दिन तक मिनिमम 294.44 रुपये दिन के भुगतान की बात थी, लेकिन प्रस्तावित प्रस्ताव में अब पचास स्क्वायर मीटर का जमीन रैयत द्वारा नहीं लेने पर पांच लाख रुपये भुगतान की बात कही गई है।
एलटीएच की प्रस्तावित मुआवजा नीति
पहले जमीन सौ स्क्वायर मीटर या 40 स्क्वायर मीटर का बना आवास।
पांच सौ दिन तक मिनिमम 294.44 रुपये दिन का भुगतान।
प्रस्तावित प्रस्ताव पचास स्क्वायर मीटर का जमीन नहीं तो पांच लाख रुपये।
जीवीकोर्पाजन के लिए किश्तों में तीन लाख रुपये का भुगतान।
शिफ्टिंग के लिए जहां पहले एक लाख रुपये था अब उसमें कटौती कर पचास हजार का प्रावधान रखा गया है। साथ ही किराये को लेकर भी एक लाख तक की मदद किश्तों में उपलब्ध कराई जाएगी।
पहले 27 स्क्वायर मीटर का आवास। अब 38.92 स्क्वायर मीटर का बना हुआ आवास या फिर एक मुश्त पांच लाख का मुआवजा।
लाइवलीहुड के लिए पहले पांच सौ दिन तक मिनिमम 294.44 रुपये दिन का भुगतान।
लाइवली हुड के लिए देगी किश्तों में तीन लाख रुपये भुगतान किया जाएगा।
शिफ्टिंग के लिए जहां पहले एक लाख रुपये था अब उसमें कटौती करते पचास हजार का प्रावधान रखा गया है। साथ ही किराये को लेकर भी एक लाख तक की मदद दो किश्त में मुहैया कराई जाएगी।
झरिया कोलफील्ड बचाओ समिति की बेहतर नीति की मांग
झरिया कोलफील्ड बचाओ समिति के अध्यक्ष राजीव शर्मा ने नई दिल्ली में हुई बैठक के निर्णयों पर कहा कि झरिया एवं अन्य क्षेत्रों में रैयतों की जमीन को गैर आबाद खाते में डाल दिया गया है। रैयतों के निर्धारण का आधार ही गलत है। सबसे पहले उन्हें आबाद घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नन एलटीएच की संख्या सर्वे के आधार पर सही नहीं लगती और अभी तक तो सही तरीके से सर्वे ही नहीं हुआ है। जैसे धनबाद विधानसभा, झरिया विधानसभा, टुंडी विधानसभा एवं बाघमारा विधानसभा के क्षेत्र में कोल बियरिंग और अग्नि प्रभावित क्षेत्र हैं।
आकलन के अनुसार 10 लाख से अधिक आबादी प्रभावित क्षेत्रों में निवास करती है
राजीव शर्मा ने कहा कि एक आकलन के अनुसार 10 लाख से अधिक आबादी प्रभावित क्षेत्रों में निवास करती है।
ऐसी स्थिति में इसका आकलन और कट आफ डेट 2019 सही नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार, बीसीसीएल, जिला प्रशासन इस क्षेत्र के लोगों में विश्वास कायम करें। इसके अतिरिक्त सरकार को अपनी नीति जल्द आनलाइन पोर्टल पर डालनी चाहिए ताकि हम अपनी बात रख सकें और आपत्ति दर्ज करा सकें।