आदिवासी संगठनों ने अनुबंध नियुक्तियों के स्थायीकरण का किया विरोध..
21 साल में राज्य में अवैध तरीके से हुई अनुबंध पर नियुक्ति, स्थायी रोजगार देने में सरकार फेल, इसको लेकर आदिवासी संगठनों ने अनुबंध नियुक्तियों के स्थायीकरण का किया विरोध
राज्य गठन को 21 साल हो चुके हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने स्थायी नियुक्ति करने की कोशिश नहीं की
राज्य के हेमंत सोरेन सरकार विभिन्न विभागों और सचिवालय से पंचायत स्तर तक कार्यरत अनुबंधकर्मियों को स्थायी करने को प्रयासरत है। सरकार के इस कदम का आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य गठन को 21 साल हो चुके हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने स्थायी नियुक्ति करने की कोशिश नहीं की। वर्तमान सरकार तो स्थायी रोजगार देने में पूरी तरह से फेल है। राज्य में 21 साल में केवल अवैध तरीके से अनुबंध पर नियुक्तियां हुई हैं। इसी विरोध को जताते हुए आज राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान की अनुषंगी सामाजिक संगठनों ने जयपाल सिंह स्टेडियम से अलबर्ट एक्का चौक तक विरोध मार्च निकाला और राज्य सरकार का पुतला दहन किया।
सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
सरकार के खिलाफ सैकड़ों की संख्या में सड़क पर उतरे आदिवासी संगठन के लोगों ने विरोध मार्च के दौरान नारबाजी की। विरोध मार्च के दौरान आरक्षण रोस्टर क्लियर किए बिना अवैध नियुक्ति बंद करो। बैकलॉग की नियुक्ति जल्दी करो। शिक्षित बेरोजगार युवाओं से खिलवाड़ करना बंद करो। नियुक्ति करो-गद्दी छोड़ो जैसे नारेबाजी की।
अवैध तरीके से हुई हैं नियुक्तियां
आदिवासी संगठन के लोगों ने कहा कि राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों के साथ प्रमंडल, अनुमंडल, जिला तथा प्रखंड कार्यालयों में अधिकारियों ने अवैध नियुक्तियां की है। जिसमें राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण तथा रोस्टर का खुलमखुला उल्लंघन किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति और राज्य के विभिन्न संस्थानों के प्रमुख ने बिना आरक्षण और रोस्टर का पालन किए भर्ती किया है। अधिकारियों ने अपने रिस्तेदारों, भाई-भतीजा तथा संबंधियों को चुन-चुनकर नियुक्त किया। राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग चाहता है कि अनुबंध पर हुए नियुक्ति का हिसाब-किताब हो ताकि उनका संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो।
नियुक्ति में गठबंधन की सरकार फेल
स्थायीकरण का विरोध कर रहे लोगों ने कहा कि गठबंधन की सरकार बीते तीन साल में एक भी नियुक्ति देने में फेल है। अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के हजारों पद बैकलॉग के रूप में पड़े हैं लेकिन वर्तमान गठबंधन की सरकार की इसपर कोई निगाह नहीं है। सरकार युवा वर्ग के रोजगार के लिए अबतक किसी प्रकार का प्रयास ही नहीं किया है। झारखंड राज्य के शिक्षित युवाओं के लिए इससे और दुखद बात क्या हो सकता है। यह युवाओं के लिए बेहद निराशाजनक और असहनीय स्थिति है।