केंद्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेंद्र यादव ने राज्य सरकार से यहां पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि यहां अधिक संख्या में पर्यटकों के आगमन से अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और तीर्थ स्थल की पवित्रता पर आंच आएगी।
सम्मेद शिखर पर नहीं होगा..
भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को ट्वीट
करते हुए जानकारी दी कि उन्होंने जैन समाज के प्रतिनिधियों संग मुलाकात की और उन्हें
आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेद शिखर सहित जैन समाज के सभी
धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस मुद्दे पर त्वरित
कार्रवाई करते हुए मंत्रालय ने इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के
कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया, जिसमें इसे पर्यटन स्थल बनाने और
इससे संबंधित गतिविधियों को शामिल करने की बातें कही गई थीं।
क्या है पूरा मामला
पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य और तोपचांची
वन्यजीव अभयारण्य के कारण सम्मेद शिखर पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र
में आता है। फरवरी, 2019 में राज्य में भाजपा की तत्कालीन सरकार ने इसे पर्यटन स्थल
घोषित किया था। उसी साल अगस्त के महीने में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया
था और पर्यटन को बढ़ावा देने की यहां की जबरदस्त क्षमता को देखते हुए राज्य
सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर गौर फरमाते हुए पर्यटन की गतिविधियों को
मंजूरी दी थी। अब राज्य सरकार ने 2021 में सम्मेद शिखर को धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया।
इसके खिलाफ देश भर में जैन समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार ने मान ली जैन समुदाय की मांग
तीर्थ स्थल पर इस विवाद को देखते हुए
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा था।
इसमें उन्होंने जैन अनुयायियों द्वारा प्राप्त आवेदनों के अनुसार पारसनाथ स्थित
सम्मेद शिखर की सुचिता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार की संबंधित अधिसूचना के
संबंध में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया था और अब केंद्र ने अधिसूचना पर रोक
लगाते हुए यहां किसी भी प्रकार के निर्माण पर भी प्रतिबंध लगा दिया।