Breaking News
26 फरवरी खास होगा.. झारखंड के लिए पीएम मोदी 226.71 करोड़ की सौगात देंगे.. 26 फरवरी को तोहफों की झड़ी  |  लोकसभा चुनाव के लिए BJP का 'लाभार्थी संपर्क अभियान' से प्लान से गांव तक पैठ बनाने की तैयारी  |  "हेमंत सोरेन ने मेरी बात मानी होती.. तो आज जेल में नहीं होते" …JMM विधायक के बगावती तेवर!  |  “आज मेरी तो कल तेरी..” भाजपा नेताओं पर भड़के झामुमो विधायक, झारखंड में सरकार गिरने की बड़ी वजह बता दी..  |  PM Kisan Yojana: हजारों किसानों को लग सकता है बड़ा झटका! अब ये करने पर ही मिलेंगे 2000 रुपये..  |  चंपई सरकार ने विधानसभा में हासिल किया विस्वास मत, पक्ष में पड़े 47 वोट  |  '..बाल बांका करने की ताकत', विधानसभा में फूटा हेमंत सोरेन का गुस्सा, ED-BJP के साथ राजभवन को भी घेरा  |  CM बनते ही एक्शन में चंपई सोरेन, 3 वरिष्ठ अधिकारियों की दी बड़ी जिम्मेदारी; लॉ एंड ऑर्डर सख्त करने की तैयारी  |  अयोध्या के लिए Special Train.. 29 जनवरी को 22 कोच के साथ रवाना होगी आस्था स्पेशल एक्सप्रेस, जानें ट्रेन का शेड्यूल  |  अयोध्या के लिए Special Train.. 29 जनवरी को 22 कोच के साथ रवाना होगी आस्था स्पेशल एक्सप्रेस, जानें ट्रेन का शेड्यूल  |  
राष्ट्रीय

उमेश कुमार झा, झारखण्ड लाइफ। 25/12/2022 :
तुलसी पूजन दिवस आज, जानिए पूजन दिवस और इस पौधे का धार्मिक, औषधीय और वैज्ञानिक महत्व...
 
तुलसी पूजन दिवस ( Tulsi Pujan Diwas) मनाने की शुरुआत साल 2014 से प्रारंभ हुई। इसमें भारत सरकार के कई केंद्रीय मंत्रियों, साधु- संतों और आमजन ने तुलसी के पौधे का औषधीय और धार्मिक महत्व को समझते हुए सोशल मीडिया के जरिए प्रचार और प्रसार किया। तभी हर वर्ष 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में पेड़-पौधों की पूजा भी देवताओं का स्वरूप मानकर की जाती है। ऐसा ही एक पौधा है तुलसी का। तुलसी के बिना भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है। इस दिन तुलसी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 

इस विधि से करें पूजा
- तुलसी पूजा दिवस यानी 25 दिसंबर को सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें और तुलसी के पौधे की पूजा करें।
- सबसे पहले तुलसी के पौधे पर हार-फूल चढ़ाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर नमस्कार करें।

- एक-एक करके पूजन सामग्री जैसे अबीर, गुलाल, रोली आदि चढ़ाते रहें। इस प्रकार पूजा करने के बाद 7 परिक्रमा करें।

- सबसे अंत में भोग लगाएं और नीचे लिखे मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें-

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
- मंत्र जाप के बाद तुलसी माता की आरती करें और घर की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। इस प्रकार पूजा से आपकी हर कामना पूरी हो सकती है।

तुलसी पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि तुलसी पूजा के बिना कोई भी कार्य अधूरा माना जाता है। क्योंकि माता तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं इसलिए भोग लगाते समय तुलसी के पत्तों का प्रयोग अवश्य करें। तुलसी की मात्रा को बहुत ही पवित्र माना जाता है इसलिए कोशिश करें कि अपने घर में तुलसी का पौधा लगाएं। माना जाता है कि इस पौधे को घर के आंगन में लगाने से घर में सुख-शांति आती है और अपार लाभ भी होता है।

तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता ॥ 
॥ जय तुलसी माता...॥


तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व

  • हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने में तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। कार्तिक मास में तुलसी पूजा और दान से बढ़कर कोई दान नहीं हैं। देवी तुलसी आठ नामों वृंदावनी, वृंदा, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, पुष्पसारा, नंदिनी, कृष्णजीवनी और तुलसी नाम से प्रसिद्ध हुईं हैं। श्री हरि के भोग में तुलसी दल का होना अनिवार्य है। भगवान की माला और चरणों में तुलसी चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से कन्या दान के समान पुण्य प्राप्त होता है।
  • हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी के पौधा होता है और नियमित पूजा व दीपक जलाया जाता है वहां पर सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है। 
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रविवार, एकादशी और सूर्य व चंद्र ग्रहण के समय तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए, इसके साथ ही इस दिन तुलसी के पत्तों को भी नहीं तोड़ना चाहिए।
  • जिन घरों में तुलसी लगी हुई होती है वहीं भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का आनंद प्राप्त होता है और ब्रह्मा और लक्ष्मीजी भी सम्पूर्ण देवताओं के साथ विराजमान होते हैं। तुलसीजी के पास बैठकर जो स्रोत्र -मंत्र आदि का जप किया जाता है,वह सब अनंत गुना फल देने वाला होता है।
  • पूजा में कभी भी तुलसी के पत्ते और गंगाजल को बासी नहीं माना जाता। ये दोनों चीजें किसी भी परिस्थिति में बासी और अपवित्र नहीं मानी जाती।
  • जिन घरों में तुलसी का पौधा लगा हुआ होता है वहां से नकारात्मक ऊर्जा दूर भाग जाती है।

तुलसी के पौधे का औषधीय महत्व

  •  रिसर्च से पता चला है कि तुलसी के पौधे में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में शरीर को सक्षम बनाते हैं।
  •  संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी बहुत कारगर उपाय है।
  •  जिन घरों पर या स्थानों में तुलसी का पौधा लगा हुआ होता है वहां के आस-पास की हवा शुद्ध हो जाती है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है और व्यक्ति की आयु बढ़ती है।

वास्तु शास्त्र में तुलसी के पौधे का महत्व

  • वास्तु शास्त्र में भी तुलसी का विशेष महत्व होता है। जिन घरों में तुलसी का पौधा होता है वहां पर हमेश सकारात्मक ऊर्जा रहती है।
  • वास्तु के नियम के अनुसार उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ और अच्छा माना गया है।
  • वास्तु में तुलसी के पौधे और पत्तों के संबंध में कुछ उपाय बताए गए हैं। नौकरी और कारोबार में तरक्की के लिए गुरुवार को तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन का लाभ मिलता है।
  • घर में हरी-भरी तुलसी सुख,समृद्धि और सौभाग्य का सूचक है साथ ही ये परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी शुभ माना जाता है वहीं तुलसी का अकारण ही सूख जाना भविष्य में आने वाली किसी परेशानी की ओर संकेत करती है।



झारखंड की बड़ी ख़बरें
»»
Video
»»
संपादकीय
»»
विशेष
»»
साक्षात्कार
»»
पर्यटन
»»


Copyright @ Jharkhand Life
')