दोनों विधायकों ने इस नियम को झारखंड के युवाओं के लिए वरदान बताया था। साथ ही कहा कि अगर सरकार सख्ती से इसे लागू नहीं करेगी, तो झारखंड के युवाओं को नौकरी मिलने में काफी परेशानी होगी। साल 2021 में इस कानून को सदन ने पारित कर दिया गया था लेकिन इससे जु़ड़े नियम अब तक लागू नहीं किए गये। इस नियम के साथ युवाओं से अपील की गयी थी कि 30 दिन के भीतर सभी नियोक्ता श्रम एवं रोजगार विभाग में अपना पंजीयन करा लें।
प्रदीप यादव ने कहा, राज्य में लगभग
4,000 कंपनियां
हैं, जो लोगों को
नौकरी देती हैं। उनमें से अब तक सिर्फ 404 ने निबंधन कराया है। सरकार को इस तरफ
भी ध्यान देना चाहिए कि कैसे ज्यादा से ज्यादा नियोक्ता निबंधन कराएं औऱ युवाओं को
नौकरी मिले। उन्होंने कहा, बाहरी कंपनियां अपने साथ काम करने वाले लोग भी बाहर से लेकर आती
है। ऐसे में स्थानीय युवाओं को मौका नहीं मिलता। इस कानून का सख्ती से पालनहो
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
निबंधन की प्रक्रिया पर भी प्रदीप यादव ने सवाल खड़े
करते हुए कहा, नियोक्ता इस तरफ उत्साहित नजर नहीं आ रहे। 30 दिन में सभी
नियोक्ताओं को निबंधन कराना था, लेकिन तीन महीने से ज्यादा बीतने के बाद महज 404 नियोक्ता
पंजीकृत हुए हैं। इस दिशा में सरकार की नीति अच्छी है और इसे लागू करने पर भी फोकस
किया जाना चाहिए।
सरकारी विभाग भी आजकल आउटसोर्सिंग के जरिये श्रमिकों की नियुक्ति कर रहे हैं. अगर गिरिडीह में एक कम्प्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति होनी है, तो आउटसोर्सिंग कंपनी रांची से कम्प्यूटर ऑपरेटर भेजती है. उन्हें भी कम पैसे दिये जाते हैं। गीरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा, गिरिडीह के श्रम विभाग में 100 से भी कम नियोक्ताओं ने अब तक निबंधन कराया है।