चंडीगढ़ हरियाणा सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी करके राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के विजेता खिलाडिय़ों को नगद पुरस्कार के रूप में दी जाने वाली इनामी राशि पर रोक लगा दी है। एक माह के भीतर यह तीसरा मौका है जब सरकार ने खिलाडिय़ों के खिलाफ कोई आदेश जारी किए है। प्रदेश भर के खिलाड़ी एक बार फिर से सरकार के विरूद्ध लामबंद हो गए हैं।
नए फैसले के पीछे वर्ष 2015 में लागू की गई खेल नीति का हवाला दिया गया है। नए आदेश जारी होने के बाद खेलकूद विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका फिर से सुर्खियों में आ गए हैं।प्रदेश सरकार ने मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में साफ किया कि राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जूनियर, सब जूनियर और यूथ कैटेगरी के पदक विजेताओं को दी जा रही नगद इनाम राशि बंद कर दी है। इन तीनों श्रेणी के पदक विजेता खिलाड़ी 1999 से पुरस्कार राशि हासिल करते आ रहे हैं। हरियाणा की पूर्व चौटाला और हुड्डा सरकारों में मिल रही पुरस्कार राशि अचानक बंद हो जाने से जूनियर खिलाड़ी सकते में हैं।
हरियाणा सरकार द्वारा अब से पहले जूनियर कैटेगरी में स्वर्ण पदक विजेता को सात हजार, रजत पदक विजेता को पांच हजार और कांस्य पदक विजेता को तीन हजार रुपये नकद पुरस्कार राशि दी जाती थी। सब जूनियर कैटेगरी और यूथ कैटेगरी में यह राशि पांच, तीन और दो हजार रुपये है। हरियाणा में सत्ता परिवर्तन के बाद वर्तमान भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में नई खेल नीति को लागू किया था।करीब तीन साल बाद इसी खेल नीति का हवाला देते हुए खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका ने जूनियर, सब जूनियर और यूथ कैटेगरी में दी जाने वाली पुरस्कार राशि को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। सात जून को जारी अपने एक आदेश में अशोक खेमका ने कहा है कि राज्य सरकार की खेल नीति में इस तीनों श्रेणी के पदक विजेता खिलाडिय़ों के लिए नगद इनाम राशि देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए उन्हें नकद पुरस्कार राशि नहीं दी जा सकती। हरियाणा सरकार के इस फैसले से उन हजारों खिलाडिय़ों को निराश होना पड़ेगा, जो अभी तक जमकर मेहनत करते हैं और मैडल जीतते हैं।